कुढ़न संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ क्रुद्ध, प्रा॰ कुड्ढ] १. वह क्रोध जो मन ही मन रहे । वह क्रोध जो भीतर ही रहे, प्रकट न किया जाय । चिढ़ । २. वह दुःख जो दूसरे के अनिवार्य कष्ट की देखकर हो ।