कुण्डी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुंडी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कूण्ड] पत्थर या मिट्टी के कटोरे के आकार का बरतन जिसमें लोग दही, चटनी आदि रखते हैं । पत्थर की कुंडी में भाँग भी घोटी जाती है । यौ॰—कुंडी सोंटा = भाँग घोटने का सामान ।
२. लोहे की टोपी या शिरस्त्राण । कूँड । उ॰—धरे टोप कुंडी कसे काँच अंगं ।—हम्मिर॰, पृ॰२४ ।
कुंडी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कुण्डा]
१. जंजीर की कड़ी । कड़ी ।
२. किवाड़ में लगी हुई साँकल जो किवाड़ को बंद रखने के लिये कुंडी में फँसाई या डाली जाती है । क्रि॰ प्र॰ —खोलना ।—बंद करना । मुहा॰—कुंडी खटखटाना = द्वार खुलवाने के लिये साँकल को जोर जोर से हिलाना । कूंडी देना, मारना लगाना =कुंडी बंद करना ।
३. लंगर का बडा छल्ला, जो उसके सिरे पर लगा रहता है ।
कुंडी ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰कुण्डल] मुर्रा भैंस जिसकी सींग घुमी हुई होती है । दे॰ 'मुर्रा' ।