कुतूहल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुतूहल संज्ञा पुं॰ [सं॰] [कुतूहली]

१. किसी वस्तु के देखने या किसी बात के सुनने की प्रबल इच्छा । उत्कंठा ।

२. वह वस्तु जिसके देखने को इच्छा हो । कौतुक । उ॰—बन तो मेरे लिये कुतूहल हो गया ।—साकेत, पृ॰, १३८ ।

३. क्रींडा । खिलवाड़ । उ॰—काम कुतूहल में बिलसै निशि वारबधू मन- मान हरे ।—केशव (शब्द॰)

४. आश्चर्य । अचंभा ।

५. नायिका का एक अलंकार ।