कुन्ती

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुंती ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कुन्ती] युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम की माता । पृथा । विशेष—यह शूरसेन यादव की कन्या और वसुदेव की बहन थी । इसे इसके चचा भोज देश के राजा कुंतिभोज ने गोद लिया था । यह दुर्वासा ऋषि की बहुत सेवा करती थी, इससे उन्होंने इसे पाँच मंत्र एसे बतलाए कि वह पाँच देवताओं में से किसी को आह्वान कर पुत्र उत्पन्न करा सकती थी । उसने कुमारी अवस्था में ही सूर्य से कर्ण को उत्पन्न कराया । इसके उपरांत इसका विवाह पांडु से हुआ ।

कुंती ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कुन्त] बरछी । भाला ।

२. एक छोटी मक्खी । दे॰ कुंतली ।

कुंती ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] कंजे की जाति का एक पेड़ । विशेष—यह मध्य बंगाल, बरमा, आसाम आदि स्थानों में होता है । इसकी फलियाँ रेंगने और चमड़ा सिझाने के काम आती हैं और बीज से जो तेल निकलता है वह जलाने के काम में आता है । इसके फलों को टेटी कहते हैं । पर्या॰—बकेटी । अणलकुच्ची ।