कुप्पा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुप्पा संज्ञा पुं॰ [सं॰ कूपक] [स्त्री॰ अल्पा॰ कुप्पी] चमडे़ का बना हुआ घडे़ के आकार का एक बड़ा बर्तन जिसमें घी, तेल आदि रखे जाते हैं । यौ॰—कुप्पासाज । मुहा॰—कुप्पा लुढ़ना लुढ़कना =(१) किसी बडे़ आदमी का मरना । (२) अधिक व्यय होना । कुप्पा होना या हो जाना = (१) फूल जाना । सूजना । वरम होना । जैसे—भिड़ के काटने से उसका मुहँ कुप्पा हो गया (२) मोटा होना । हृष्टपुष्ट होना । जैसे, —वह दो महीने में ही कुप्पा हो गया (३) रूठना । रूठकर बोलचाल बंद करना । जैसे—वह जरा सी बात में कुप्पा हो जाते हैं । फूलकर कुप्पा होना = (१) मोटा होना । हृष्ट पुष्ट होना । (२) अत्यंत हर्षित होना । आनंद से फूल जाना । जैसे, —जिस समय वह यह सुनेगा फूलकर कुप्पा हो जायगा । किसी का मुँह कुप्पा होना = किसी की नाराज होकर मुँह फुलना । किसी का रूठकर बोलचाल बेंद करना । जैसे— जरा सी बात पर तुम्हारा मुँह कुप्पा हो जाता है । कुप्पा सा मुँह करना = मुँह फुलाना । रूटकर बोलचाल बंद करना ।