कुमारसम्भव

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुमारसंभव संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुमारसम्भव ] कालिदासप्रणीत एक महाकाव्य । विशेष— इस काव्य में शिव—पार्वती—विवाह और कुमार कर्तिकेय की उत्पति का विस्तृत वर्णन है । इस महाकावय में कुल १७ सगँ है जिसमें प्राजीन टिकाएँ पाठ सर्ग के बाद नहीं मिलतीं । अत: ऐसा विश्वास किया जाता है कि कालिदास ने आठ ही सर्गों की रचना की है तथा शेष नव सर्ग किसी अन्य कवि की कृति है ।