कुम्हलाना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुम्हलाना क्रि॰ अ॰ [सं॰ कु + म्लान]
१. ताजगी का जाता रहना । सरसता और हरापन न रहना । मुरझाना । जैसे,—पौधे, पत्ते, फूल आदि का कुम्हलाना । उ॰—तरू पर फूल कमल पर जल कण सुंदर परम सुहाते हैं । अल्प काल के बीच किंतु वे कुम्हलाकर मिट जाते हैं ।—श्रीधर पाठक (शब्द॰) ।
२. सूखने पर होना ।
३. प्रफुल्लता रहित होना । कांति का मलिन पड़ना । प्रभाहीन होना । जैसे—इतनी धूप में आए हो, चेहरा कुम्हलाया हुआ है । उ॰—सुनि राजा अति अप्रिय बानी । हृदय कप मुख दुति कुम्हलानी ।—तुलसी (शब्द॰) ।