कुलक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुलक ^१ वि॰ [सं॰] अच्छे कुल, खानदान का [को॰] ।

कुलक ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मकर तेदुआ नाम का वृक्ष ।

२. कुचिला ।

३. परवल या उसकी लता ।

४. हरा साँप ।

५. दीपक ।

६. श्रेणी या समूह का प्रधान [को॰] ।

७. समूह [को॰] ।

८. बल्मीक । बाँबी ।

९. संस्कृत में गद्य लिखने का एक ढंग ।

१०. संस्कृत में कविता लिखने का एक विशेष ढंग । उ॰— यद्यपि हिंदी में इस ढंग की कविता का प्रचार नहीं है, तथापि अन्य भाषाओं में (जैसे, संस्कृत में कुलक, अंग्रेजी में ब्लेकवर्स, बँगला में अमित्राक्षर छंद आदि) इसका उपयुक्त प्रचार है ।—करुणा॰, (सू॰) । विशेष—कुलक में ५ से १४ तक एक साथ अन्वित पद्य या कविताएँ होती हैं । व्याकरण की दृष्टि से इनका वाक्यविन्यास और बंधान ऐसा होता है कि सब एक ही वाक्य में लिखा जा सकता है ।