कुलिश
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुलिश संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. हीरा । उ॰—माणिक मर्कत कुलिश पिरोजा । चीर कोरि पच रचे सरोजा ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. वज्र । बिजली । गाज । चिल्ली । उ॰—भयो कुलाहल अवध अति, सुनि नृप राउर सोर । बिपुल विहँग बन परयौ निसि, मानौ कुलिस कठोर ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. ईश्वरावतार राम, कृष्णादि के चरणों का एक चिह्न, जो वज्र के आकार का माना जाता है । उ॰—अरुण चरण अकुशध्वज, कंज कुलिश चिह्न रुचिर, भ्राजत अति नूपुर बर मधुर मुखरकारी ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—कुलिशधर = वज्रधर । इंद्र ।
४. कुठार ।
५. एक प्रकार की मछली ।