कुहरा संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुहेड़ी] वायु में जल के अत्यत सूक्ष:म कर्णो का समूह जो ठंढ़ पाकर वायु में मिली हुई भाप के जमने से उत्पन्न होता है । ये जलकण पत्तियों ओर धासों पर पड़ कर बड़ी बड़ी बूँदों के रूप में दिखाई पड़ते है । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।