कूका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कूका संज्ञा पुं॰ [हिं॰ कूकना = चिल्लाना]

१. चिल्लाहट भरी लंबी पुकार ।

२. सिक्खों का एक पंथ । विशेष—सन् १८६७ में रामसिह नामक एक बढ़ई ने यह पंथ चलाया था । वह अपना उपदेश बहुत चिल्ला चिल्लाकर देता था और श्रोता लोगा भी खूब भक्ति में लीन होकर चिल्ला चिल्लाकर ग्रंथ साहब के पद गाते थे, इसी से इस पंथ का नाम ही कूका । पड़ गया ।