के
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]के तट लखि कामिनी अलि पंकजहि विहाय । ताके अधरन दिसि चल्यो, रसमय गूँज सुनाया (शब्द ॰) ।
के ^१ प्रत्य॰ [हिं॰ का] संबंधसूचक 'का' विभक्ति का बहुवचन रूप । जैसे, —राम के घोड़े । विशेष—यदि संबंधवान् के आगे कोई विभक्ति होती है, तो एक वचन में 'भी' का के स्थान पर 'के' आता है । जैसे— (क) वह राम के घोड़े से गिर पड़ा । (ख) हम उसके घर (पर) गए थे ।
के ^२ † सर्व॰ [सं॰ 'क' का बहु॰ व॰] कौन? उ॰—कहहु कहिहि के कीन्हि भलाई ।—मानस, २ ।१८१ ।
के २५-२५ के चार हिस्से करो । (ख) जमीन चार हिस्सों में बँट गई । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।—लगाना ।
२. टुकड़ा । खंड । जैसे,—इस गन्ने के चार हिस्से करो ।
३. उतना अंश जितना प्रत्येक को विभाग करने पर मिले । अधिक में से उतनी वस्तु जितनी बाँटे जाने पर किसी को प्राप्त हो । बखरा । जैसे,—तुम अपने हिस्से में से कुछ जमीन इसको दे दो । यौ॰—हिस्सा बखरा ।
४. बाँटने की क्रिया या भाव । विभाग । तकसीम । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । लगाना ।
५. किसी विस्तृत वस्तु (जैसे,—खेत, घर आदि) का विशेष अंश जो और अंशों से किसी प्रकार की सीमा द्वारा अलग हो । विभाग । खंड । जैसे,—(क) इस मकान के पिछले हिस्से में किराएदार हैं । (ख) कोठी का अच्छा हिस्सा उसके अधिकार में है ।
६. किसी बड़ी या विस्तृत वस्तु के अंतर्गत कुछ वस्तु या अंश । अधिक के भीतर का कोई खंड या टुकड़ा । जैसे,—यह पेड़ दुनिया के हर हिस्से में पाया जाता है ।
७. अंग । अवयव । अंतर्भूत वस्तु । जैसे,—बदन के किस हिस्से में दर्द है ?
८. किसी वस्तु के कुछ अंश के भोग का अधिकार । किसी व्यवसाय के हानि लाभ में योग । साझा । शिरकत । जैसे,— कंपनी में हिस्सा, दुकान में हिस्सा, मकान में हिस्सा ।