केकड़ा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]केकड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ कर्कट, पा॰ ककट] पानी का एक कीड़ा जिसे आठ टाँगें और दो पंजे होते हैं । विशेष—यह साधारण गड़हियों से लेकर समुद्र तक में पाया जाता है और भिन्न भिन्न आकार का, छोटा बड़ा और कई रंगों का होता है । यह अंडज है और इसके विषय में कहा जाता है कि इसकी माता अंडा देने से पहले मर जाती है । बरसात में केकड़े जोड़ा खाते है; और जब मादा का पेट अंड़ो से भर जाता है तब वह मर जाती है; और अंडे में से पकने पर, छोटे छोटे बच्चे निकलते हैं । कहते हैं कि पाँच खोल बदलने पर यह पूरा केकड़ा होता है । यह सुखी भूमि पर भी चल सकता है । गरमी में छिछले पानी या किनारे पर रहता है और जाड़े में गहरे जल में चला जाता है, जहाँ झुंड बाँधकर किसी दरार या गड्ढे में रहता है । बड़ा केकड़ा अपने छोटे और निर्बल केकड़ों को खा जाता है । भिन्न भिन्न प्रदेशों में लोग इसका मांस भी खाते हैं । वैद्यक में सफेद केकड़े का मांस वायु और पित्त का नाश करनेवाला और रुधिकारक तथा काले केकड़े का मांस बलकारक, गरम और वातनाशक माना गया है । मुहा॰—केकड़े की चाल = टेढ़ी तिरछी चाल ।