केवड़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

केवड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ केविका ]

१. सफेद केतकी का पौधा जो केतकी से कुछ बड़ा होता है । विशेष — इसके फूल और पतियाँ केतकी से बड़ी होती हैं । केतकी की पतियों की भाँति इसकी पतियाँ भी चटाइयाँ आदि बनाने के काम आती हैं और इसके फूल से भी अतर और सुगंधित जल बनता तथा कत्था बसाया जाता है । इसमें भी केतकी के प्रायः सब गुण हैं । इसके सिवा वैद्यक में इसके केसर को गरम कंडुनाशक माना है और इसके फल को बात, प्रमेह मौर कफ का नाशक कहा है । विशेष— दे॰ 'केतकी' ।

२. इस पौधे का फूल

३. इसके फूल से उतारा हुआ सुगंधित जल या आसव ।

४. एक पेड़ जो हरद्वार के जंगलों और बरमा में होता है । विशेष—यह गरमी के दिनों में फुलता है । इसकी लकड़ी सागवन अदि की तरह मजबूत होती है । जिसके तख्तो से मेज, कुरसी संदूक आदि बनाए जाते हैं ।