केशान्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

केशांत संज्ञा पुं॰ [सं॰ केशान्त]

१. सोलह संस्कारों में से एक । विशेष ब्राह्मण को यह संस्कार सोलहवें बर्ष, क्षत्रिय को बाईसवें वर्ष और वैश्य को चौबीसवें वर्ष करने का विधान है । यह संस्कार यज्ञोपवीत के बाद और समावर्तन के पहले होता था और इसमें ब्रह्मचारी के सिर के बाल मूडे़ जाते थे । इसे गोदानकर्म भी कहते हैं ।

२. मूंडन ।

३. बाल का सिरा ।