कै

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कै ^१ वि॰ [सं॰ कति प्रा॰ कइ ] कितना । किस कदर । जैसे — कै आदमी आए हैं ।

कै ^२पु अव्य॰ [सं॰ किम्] या । वा । अथवा । या तो । उ॰— जन्म सिरानो ऐसे ऐसे । कै घर घर भरमत जदुपति बिन, कै सोवत कै जैसे । कै कहुँ खान पान रसनादिक, के कहुँ वाद अनैसे । —सूर (शब्द॰) । विशेष — इस शब्द के साथ प्रश्न में 'धौं' 'धौं' प्रायः आता है । जैसे, — (क) कैधों व्योमबीथिका भरे हैं भूरि धूमकेतु कैधों रस बीर तरवारि सी उधारी है । — तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १७० । (ख) कैधों अनंग सिंगार को रंग लिख्यो नर मंत्र बसीकर पी को । — दिनेश (शब्द॰) ।

कै ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का मोटा जड़हन धान ।

कै ^४† प्रत्य॰ [सं॰ प्रत्य॰ क ] संवंधवाचक का, की के स्थान पर प्रयुक्त विभक्ति । उ॰— (क) रामकथा कै मिति जग नाहीं ।— मानस, १ ।३३ । (ख) धोबी कै सो कूकर न घर को न घाट को । तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ११२ । विशेष — करण कारक के रूप में भी इसका प्रयोग होता है; जैसे, — कहु जड़ जनक धनुष कै तोरा । — मानस, १ । २७० ।

कै ^५ संज्ञा स्त्री॰ [ अ॰ कै] वमन । छाँट । उलटी । क्रि॰ प्र॰— आना ।—करना — होना ।