कोका
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कोका ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰] दक्षिणी अमेरिका का एक वृक्ष । विशेष— इसकी सुखाई हुई पत्तियाँ चाय या कहवे की भाँति शक्तिवर्धक समझि जाती हैं । इसके व्यबहार से थकावट ओर भूख नहीं मालूम होती, इसलिये वहाँ के निवासी पहाड़ों पर चढ़ने से पहले थोड़ी सी सुखी पत्तियाँ चबा लेते हैं । इनमें एक प्रकार का नशा होता है, इसलिये एक बार इनका व्यवहार आरंभ करके फिर उसे छोड़ना कठिन हो जाता है । कोकेन इसी से निकलता है ।
कोका ^२ संज्ञा स्त्री॰ [तु॰ कोकह] धाय की संतान । दूध पिलानेवाली की संतति । दुधभाई या दूधबहिन ।
कोका ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ को] एक प्रकार का कबूतर ।
कोका ^४ संज्ञा स्त्री॰ [?] नीली कुमुदिनी । विशेष—दे॰ 'कोकाबेरी' ।
कोका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] चक्वी । चक्रवाकी । उ— छिनु छिनु प्रभु पद कमल बिलोकी । रहिहौं मुदित दिवस जिमि कोकी ।— मानस, २ । 66 ।