कोपर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कोपर † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कपाल] पीपल या अन्य किसी धातु का बड़ा थाल जिसमें एक ओर उसे सरलता से उठाने कि लिये कुंडा लगा रहता है । उ॰—कनक कलस भरि कोपर थारा । भाजन ललित अनेक प्रकारा ।—तुलसी (शब्द॰) ।

कोपर ^२ संज्ञा पु॰ [हिं॰ कोपल] डाल का पका हुआ आम । टपका । सीकर । साँप ।

कोपर ^३पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ कूपँर प्रा॰ कोप्पर] [स्त्री॰ कोपरी] भुजा और हाथ के मध्य की संधि । कुहनी उ॰—(क) पाँच कोपर चरावे ? चित सौं वाछा राखीला ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ३३ । (ख) दंतकुली अंगुली, करी कोपरी कपाली । बीच खेत वित्थरी, फरी बिहरी किरमाली ।—रा॰ रू॰, पृ॰ २५१ ।