कोम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कोम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कदमाब, प्रा॰ कयम्ब] कदंब । कदम । उ॰— अब तजि नाउँ उपाय कौ आए पावस मास । खेलु न रहिबौ खेम सौं केम कुसुम की बास ।—विहारी (शब्द॰) ।

कोम पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कूर्म्म, प्रा॰ कुम्म] दे॰ 'कूर्म' । उ॰—चलंत धाव वेग वाव धाव पाव चचले । अही कपाल नीठ धीर पीठ कोम आकुले ।—रा॰, रू॰, पृ॰ १७६ ।