कोयल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कोयल ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कोकिल] काले रंग की एक प्रकार की चिड़िया । कोंकिला । कोंइली । विशेष—यह आकार में कौवे से कुछ छोटी होंती है और मैदानों में बसंत ऋतु के आरंभ से वर्षा के अंत तक रहती है यह चिड़िया सारे संसार में पाई जाती है; और प्रायः सभी भाषाओं में इसके नाम भी स्वर के अनुकरण पर बने है । भारत में कोयल अपने अंडे कौवे के घोसले में रख देती और वही उसमें से बच्चा निकलता है । इसी लिए इसे संस्कृत में 'अन्यपुष्ट' 'परभृत' भी कहते हैं । इसकी आँखे लाला, चोंच कुछ झुकी हुई और दुम चौड़ी तथा गोल होंती है । इसका स्वर बहुत ही मधुर और प्रिय होता है । वैद्यक के अनुसार इसका माँस पित्तनाशक और कफ बढ़ानेवाला है ।
कोयल ^२ संज्ञा स्त्री॰ एक प्रकार की लता । अपराजिता । विशेष—इसकी पत्तियाँ गुलाब से मिलती जुलती पर कुछ छोंटी होती हैं । इसमें नीले और सफेद फूल होते हैं, और एक प्रकार की फलियाँ लगती हैं । इसका प्रयोग ओषधियों में बहुत होता है । वैद्यक के अनुसार यह ठंढ़ी विरेचक ओर वमनकारक होती है । इसकी पत्तियों का रस पीने से साँप का विष उतर जाता है कभी कभी इसका प्रयोंग अँगरेजी दवाओं में भी होता है ।