कोरक
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
कोरक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कली । मुकुल ।
२. फूल या कली का वह बाहरी भाग जो प्रायः हरा होता है और जिसके अंदर । पुष्पदल रहते हैं । फूल की कटोरी । उ॰—कोरक सहित अगस्तिया लाख्यो राहु अवतार । कला कलाधर की गिली जनु उगलत एहि बार ।—गुमान (शब्द॰) ।
३. कमल की नाल या डंडी । मृणाल ।
४. चोरक नाम का गंधद्रव्य ।
५. शीतल तीनी ।
कोरक ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कोरक=मृणाल] एक प्रकार का मोटा और मजबूत बेत जो आसाम और बरमा में होता है और जिसकी छड़ियाँ बनती हैं ।