कोरना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कोरना ^१ क्रि॰ स॰ [हिं॰] दे॰ 'कोड़ना' ।
कोरना ^२ क्रि॰ स॰ [हिं॰ कोर+ ना (प्रत्य॰)]
१. लकड़ी आदि में कोर निकालना ।
२. छील छालकर ठीक करना । दुरुस्त करना । उ॰—बनाबासी पुर लोंग महामुनि किए हैं काठ से कोंरि ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. किनारा बनाना । छाँटना ।
३. खरोंचना । खोंदकर गड्ढ़ा बनाना । उ॰—ओझरी की झोंरी काँधे आंतनि की सेल्ही बाँधे, मुँड़ के कमंडलु, खपर किये कोरिकै ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १९५ ।