कोल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कोल ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] लोहे या काठ की मेख । काँटा । परेग । खूँटी । यौ॰—कील काँटा = (१) लोहार या बढई का औजार । (२) हरबा हथियार । उ॰—सलारो ते पहले ही से कील काँटे से लेस था ।— फिसान॰, भा॰ ३, पृ॰ ३८३ ।

२. वह मढ़ गर्भ योनि में अटक जाता है ।

३. नाक में पहिनने का एक छोठा आभूषण, जिसका आकार लौंग के समान होता है । लौंग ।

४. मुहासे की मांसकील ।

५. स्त्री प्रसंग में एक प्रकार का आसन जिसे 'कीलासन' कहते हैं । ६ जाँते के बीचोबीच का खूँटा जिसके आधार पर वह गड़ा रहता हैं ।

७. वह खूँटी जिसपर कुम्हार का चाक घूमता है ।

८. आग की लवर । अग्निशिखा ।

९. दे॰ 'कीलक' ।

१०. भाला (को॰) ।

११. अस्त्र (को॰) ।

१२. कुहनी धँसान या मारना (को॰) ।

१३. सूक्ष्म कण (को॰) ।

१४. शिव (को॰) ।

१५. जुआरी । १६ एक प्रेत (को॰) ।

कोल संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सूअर । शूकर । उ॰—कमठ पीठ पर कोल कोल पर फन फनिंद फन ।—अकबरी॰, पृ॰ १४६ ।

२. गोद । उत्संग ।

३. आलिंगन करने में दोनों भुजाओं के बीच का स्थान

४. चीता नाम की औषधि । चित्रक ।

५. शनैश्चर ग्रह ।

६. बेर । बदरीफल ।

७. एक तौल जो तोले भर की होती है ।

७. काली मिर्च ।

९. शीतलचीनी । चव्य नाम की औषधि ।

१०. पुरुवंशी आक्रीड़ नामक राजा का पुत्र ।

११. एक प्रदेश या राज्य का प्राचीन नाम । विशेष—हरिवंश में कोल राज्य का नाम दक्षिण के पांडय और केरल के साथ आया है । पर बौद्ध ग्रंथों में कोल राज्य कपिलवस्तु के पूर्व रोहिणी नदी के उस पार बतलाया गया है । शु्द्धौदन और सिद्धार्थ दोनों का विवाह इसी वंश में हुआ था । इस कोल वंश के विषय में बौद्धों मे ऐसा प्रसिद्ध कि इक्ष्वाकुवंश के चार पुरुष अपनी कोढ़िन बहन को हिमालय के अंचल में ले गए और उसे एक गुफा में बंद कर आए । कुछ दिनों के उपरांत काशी का एक कोढ़ी राजा भी उसी स्थान पर पहुँचा और काली मिर्च (कौल) खाकर अच्छा हो गया । राजा ने एक दिन देखा कि एक सिंह उस गुफा के द्वार पर रखे हुए पत्थर को हटाना चाहता है । राजा ने सिंह को मारा और गुहा से उसे कन्या का उद्धार करके उसका कुष्ट रोग छुड़ ा दिया । उन्ही दोनों के संयोग से कौल वंश की उत्पत्ति हुई । स्कंद पुराण के हिमवत् खंड लिखा में है कि कोल एक राजबंस जाति

१२. उ॰—बन हित कोल किरात किसोरी । मानस २ ।६० । पद्मपुराण में लिखा है कि जब पवन, पल्लव, कोलि, सर्प आदि सगर के भय से वशिष्ठ की शरण में आए, तब उन्होंने उनका सिर आदि मुँड़ाकर उन्हें केवल संस्कारभ्रष्ट कर दिया । आजकल जो कोल नाम की एक जंगली जाति है, वह आर्यों से स्वतत्र एक आदिम जाति जान पड़ती है, और छोटा नागपुर से लेकर मिरजापुर के जंगलों तक फैली हुई है ।

कोल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कवल] चेबना । दाना । चरबन ।