कौतुक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कौतुक संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ कौतुकित, कौतुकी ]
१. कुतूहल ।
२. आश्चर्य । अचंभा । उ—सतीं दिख कौतुक मग जाता । आगे राम सहित श्री भ्राता । — मानस , १ ।५४ ।
३. विनोद । दिल्लगी ।
४. आनंद । प्रशंसा ।
५. खेल तमाशा । क्रि॰ प्र॰—करना ।— दिखलाना । — देखना । — होना ।
६. वह मांगलिक सूत्र (कंगन) जो विवाह से पहले हाथ में पहना जाता है ।
७. विवाह के पूर्व कंगन बांधने की प्रथा ।
८. पर्व । उत्सव (को॰) ।
९. विवाह आदि शुभ कार्य ( को॰) ।
१०. उत्सुकता । आवेग । आतुरता (को॰) ।
११. आश्चर्यजनक वस्तु ( को॰) । यौ॰—कौतुकक्रिया । कौतुकमंगल = (१) बडा उत्सव । महोत्सव । (२) विवाह संस्कार । कौतुकतोरण = उत्सव के लिये निर्मित मंगलसूचक द्वार । कौतुकागार = (१) क्रीडागृह । विनोदगृह । (२) दे॰ 'कोहबर' ।