कौरा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कौरा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कोल, क्रोड या सं॰ कपाटक, प्रा॰ कवाडअ] [स्त्री॰ कौरी ] द्वार के इधर उधर का वह भाग जिसके खुलने पर किवाड भिड रहते हैं । द्वार का कोना । उ॰— द्वार बुहारत फिरत अष्ट सिधि । कौरेन साथिया चीतत नवनिधि । — सूर (शब्द॰) ।

कौरा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कवल ]

१. वह खाना जो कुत्ते, अंत्यज आदि को दिया जाय ।

२. भिक्षा । भीख । उ॰—भले बुरे के कौरा खैहो ।—कबिर॰ श॰, पृ॰ २२ । क्रि॰ प्र॰—खाना ।—डालना ।—दैना ।

कौरा ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ] दे॰ 'कोडा' ।