कौल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कौल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. उत्तम कुल में उत्पन्न । अच्छे खानदान का ।
२. वाममार्गी । कौलाचारी । उ॰—कहने की आवश्य— कता नहीं कि कौल, कापालिक आदि इन्ही वज्रयानियों से निकले ।—इतिहास, पृ॰ १३ ।
कौल ^२ वि॰ कुल संबंधी । खानदानी । कुलक्रम से आगद या प्राप्त । उ॰—कूटि निर्गुन कुण धारिन्ह आनि परयो मोंह मिटि कौल कानि ।—जग॰ श॰, पृ॰ ६९ ।
कौल ^३ † संज्ञा पुं॰ [सं॰ कमल] कमल । सरोज । उ॰—बहै लाल लोहू लसै वारिधारा । मलौ कौल फूले कलंगी अपारा ।— हम्मीर॰, पृ॰ ५९ ।
कौल ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कवल ] ग्रास । कौर ।
कौल ^५ संज्ञा पुं॰ [तु॰ करावल] सेना की छावनी का मध्य भाग ।
कौल ^६ संज्ञा पुं॰ [ अ॰ कौल]
१. कथन । उक्ति । वाक्य ।
२. प्रतिज्ञा । प्राण । वादा । इकरार । उ॰—कौल 'आबरु' का था कि न जाऊँगा उस गली । होकर के बेकरार देखो आज फिर गया ।—कविता॰ कौ॰, भा॰ ४, प॰ ११ । यौ॰—कौल करार = परस्पर दृढ प्रतिज्ञा । कौल का पूरा या पक्का = बात का सच्चा । जबान का धनी । मुहा॰—कौल तोडना = किसी से की हुई प्रतिज्ञा छोडना । प्रतिज्ञा के अनुसार कार्य न करना । कौल देना = किसी से प्रतिज्ञा करना । किसी को वचन देना । कौल निभाना = वादा पूरा करना । उ॰—नट नागर कछु कहत बनै ना उनको कौल निभायो ।—नट, पृ २२ । कौल लेना = प्रतिज्ञा कराना । वचन लेना । कौल से फिरना = दे॰ 'कौल तोडा ' । कौल हारना = दे 'कौल दैना ' । उ॰—मगर मियाँ आजाद कौल हार के निकल गए ।—फिसाना॰, भा॰
३. पृ॰ ६३ ।
३. एक प्रकार का चलता गाना । सुफियाना गीत । कौवाल ।
कौल ^७ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कौल] सूकर । सुअर । उ॰—कहूँ कौलपुंज कहूँ लीलगाहं । कहुँ चीतल पाँडुलं व्याघ्र नाहं ।—ह॰ रासो, पृ ३६ ।
कौल ^८पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ] दे॰ 'कोर' । उ॰—लाला बिलोचनि कौलन सों, मुसकाइ इतै अरुझाइ चीतेगी ।—मतिराम ( शब्द॰) ।