क्रतु
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]क्रतु संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. निश्चय । संकल्प ।
२. इच्छा । अभिलाषा ।
३. विवेक । प्रज्ञा ।
४. इंद्रिय ।
५. जीव ।
६. विष्णु ।
७. यज्ञ विशेषत: अश्वमेध । यौ॰—क्रतुपति = विष्णु । क्रतुपशु = घोडा । क्रतुफन = यज्ञ का फल, स्वर्ग आदि ।
८. आषाढ (प्राय: यज्ञ इसी महिने होते हैं) ।
९. ब्रम्हा के एक मानस पुत्र । विशेष—ये सप्त ऋषियों में से एक है । इनकी उत्पत्ति ब्रम्हा के हाथ से हुई थी । इनका विवाह कर्दम प्रजापति की कन्या क्रिया के साथ हुआ था, जिसके गर्भ से साठ हजार बालखिल्प ऋषि उत्पन्न हुए थे ।
१०. विश्वदेवा में से एक ।
११. कृष्ण के एक पुत्र का नाम ।
१२. प्लक्षद्वीप की एक नदी का नाम ।