क्रम
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]क्रम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पैर रखने की क्रिया । डग भरने की क्रिया ।
२. वस्तुओं या कार्यों के परस्पर आगे पीछे आदि होने का नियम । पुर्वापर संबंधी व्यवस्था । शैली । प्रणाली । तरतीब । सिससिला ।—जैसे—(क) इन पौधों को किस क्रम में लगाओगे ? (ख) इन शब्दों का क्रम ठीक नहीं है । मुहा॰—क्रम से = क्रमानुसार । क्रि॰ प्र॰—रखना ।—लगाना ।
३. किसी कार्य के एक अंग को पुरा करने के उपरांत दुसरे अंग को पुरा करने का नियम । कार्य को उचित रुप से धीरे धीरे करवे का प्रणाली । क्रि॰ प्र॰—बाँधना । मुहा॰—क्रम क्रम करके = धीरे धारे । शनै: शनै: । उ॰—जो कोउ दूरि चलने को करे । क्रम क्रम करि डग डग पग धरै ।—सुर (शब्द॰) । क्रम से, क्रम क्रम से =धीरे धीरे ।
४. वेदपाठ की प्रणाली जो दो प्रकार की है—प्रकृति रुप । और विकृत रुप । पकृति रुप के दो भेद हैं—रुढ और योग । जैसे—'अग्निमीलपुरोहितम्' इस प्रकार का पाठ रूढ़ ओर अग्निम् ईळ पुरोहितमं' इस प्रकार का पाठ योग कहलाएगा । विकृत रुप के आठ भेद हैं—जटा, माला, शिख, लेखा, ध्वज, दंड, रथ और घन ।उ॰—पढन लग्यो भैंसा तब बेदा । पद- क्रम जठा क्रमहु बिन खेदा ।—रघुराज (शब्द॰) ।
५. किसी कृत्य के पीछे कौन सा कृत्य करना चाहिये इसकी व्यवस्था । वैदिक विधान । कल्प ।
६. आक्रमण ।
७. वामन का एक नाम जिन्होंने पृथ्वी तीन डगों में नापा था ।
८. वह काव्यालंकार जिसमें प्रथमोक्त वस्तुओं का वर्णन क्रम से किया जाय । इसे संख्यालंकार भी कहते हैं । जैसे—नूतन घन हिम कनक कांतिधर । खगपति बृष मराल बाहन वर । सरितपति गिरि सरसिज आलय । हरिहर विधि जसबँत प्रति पालय ।