क्रीतानुशय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

क्रीतानुशय संज्ञा पुं॰ [सं॰] धर्मशास्त्र के अनुसार अठारह प्रकार के विवादों में से एक । जब कोई मनुष्य किसी चीज को मोल लेने के बाद, नियमों के विरुद्ध, उसे फेरना चाहता है, तो उस समय जो विवाद उपस्थित होता है, उसे क्रीतानुशय कहते हैं ।