क्षतोदर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

क्षतोदर संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्रकार का उदररोग । विशेष—इसमें अन्न के साथ रेत, तिनका, लकडी, हड्डी या काँटा आदि पेट में उतर जाने, अधिक जँभाई आने या कम भोजन करने के कारण आँते छिद जाती हैं और उनमें से जल रसकर गुदा के मार्ग से निकलता है । इसे परिस्राव्युदर भी कहते हैं ।