क्षत्रक्रर्म

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

क्षत्रक्रर्म संज्ञा पुं॰ [सं॰ क्षत्रकर्मन्] क्षत्रियोचित कर्म । वह कर्म जिसका करना क्षत्रियों के लिये आवश्यक हो; जैसे, युद्ध से कभी न हटना, यथाशक्ति दान देना, शत्रुओं का दमन करना, इत्यादि ।