क्षमा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]क्षमा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. चित्त की एक प्रकार की वृत्ति जिसस े मनुष्य दूसरे द्वार पहुँचाए हुए कष्ट को चुपचाप सह लेता है और उसके प्रतिकार या दंड की इच्छा नहीं करता । यह वृत्ति तितिक्षा के अंतर्गत मानी गई है । क्षांति ।
२. सहिष्णुता । सहनशीलता ।
३. खैर का पेड़ ।
४. पृथिवी ।
५. एक की संख्या ।
६. वेत्रवती या बेतवा नदी का एक नाम ।
७. दक्ष की एक कन्या का नाम ।
८. दुर्गा का एक नाम ।
९. ब्रह्मवैवर्त्त के आनुसार राधिका की एक सखी का नाम ।
१०. तेरह अक्षरों की एक वर्ण वृत्ति का नाम, जिसमें क्रम से दो नगण, एक जगण, एक तगण, और अंत में एक गुरु (न न ज त गु ) होता है और सातवें तथा छठे वर्ण पर यति होती है । जैसे—न निज तिगम सुभाव छाँडै़ खला । यद्यपि नित उठ पाव ताको फला । तिमि न सुजन समाज धारै तमा । जग जिनकर सुसाज नीती क्षमा ।
११. चमद्रशेखर के अनुसार आर्या नामक छंद का एक भेद, जिसमें २२ गुरु और १३ लघु मात्राएँ होती हैं ।