क्षार
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]क्षार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. दाहक, जारक, विस्फोटक या इसी प्रकार की और वानस्पत्य औषधियों को जलाकर या खनिज पदार्थों को पानी में घोल और रासायनिक क्रिया द्वारा साफ करके तैयार की हुई राख का नमक । विशेष—यह सूखा साफ चमकीला, मैल काटनेवाला और कलम या रवे के रूप में होता है । डाकटरी मत से क्षार उस पदार्थ को कहते हैं जो पानी में अच्छी तरह घुल सकता हो, अम्ल या तेजाब की शक्ति नष्ट करके उसका नमक बना सकता हो और भिन्न भिन्न वानस्पत्य रंगो को बदल सकता हो ।
२. चक्रदत के अनुसार एक प्रकार की ओषधि जो मोखा नामक वृक्ष की पत्तियों के क्षार से बनती है ।
३. नमक ।
४. सज्जी । खार ।
५. शोरा ।
६. सुहागा ।
७. भस्म । राख ।
८. काच । शीशा ।
९. गुड़ ।
१०. काला नमक (को॰) ।
११. जल (को॰) ।
१०. किसी वस्तु का सत या स्वरस (को॰) ।
१३. दुष्ट । ठग । धूर्त (को॰) ।
क्षार ^२ वि॰
१. क्षरणशील ।
२. खारा ।
३. धूर्त ।