क्षारण संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. रसेश्वर दर्शन के अनुसार पारे का पंद्रहवाँ संस्कार । २. (विशेषतः व्यभिचार का) दोषारोपण (को॰) । ३. क्षार का निर्माण । खार बनाना । ४. टपकना । चुआना (को॰) ।