क्षिप्त
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]क्षिप्त ^१ वि॰ [सं॰]
१. त्यक्त ।
२. विकीर्ण । उ॰—क्षिप्त खिलोने देख हठीले बाल के, रख दे माँ ज्यों उन्हें सँभाल सँभाल के ।— साकेत, पृ॰ ११५ ।
३. अवज्ञात । अपमानित ।
४. पतित ।
५. वात रोग से ग्रस्त । पागल ।
६. स्थापित [को॰] ।
क्षिप्त ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] योग में चित्त की पाँच वृत्तियों या अवस्थाओं में से एक, जिसमें चित्त रजीगण के द्वारा सदा अस्थिर रहता है । कहा गया है, यह अवस्था योग के लिये अनुकूल या उपयुक्त नहीं होती । वि॰ दे॰ 'चित्तभूमि' ।