खँचना † ^१ क्रि॰ अ॰ [हिं॰ खाँचना] चिह्निनत होना । निशान पड़ना । उ॰—लाजमयी सुर बाम भई पछितान्यो स्वयंभू महा मन सेखैं । दुसरी ओर बबाइबो को त्रिबली खंची तीन तलाक की रेखैं ।—शंभु कवि (शब्द॰) ।
खँचना ^२ † क्रि॰ अ॰ [हिं॰] दे॰ 'खिंचना' ।