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खंज

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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खंज ^१ † संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक प्रकार का रोग जिसमें मनुष्य का पैर जकड़ जाता है और वह चल फिर नहीं सकता । वैद्यक के अनुसार इस रोग में कमर की वायु जाँघ की नसों को पकड़ लेती है, जिससे पैर स्तंभित हो जाता है । उ॰—गूँगे कुबजे बावरे बहिरे बामन वृद्ध । याम लये जनि आइगे खोर खंज प्रसिद्ध ।—केशव (शब्द॰) ।

२. लँगड़ा । पंगु । उ॰—तारन की तरलाई सु तौ तरुनी खग खंजन खज किए हैं । गंग कुरंग लजात जुदे जलजातन के गुन छईन लिये है ।—गंग ग्रं॰, पृ॰ ११ ।

खंज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं खञ्जन] खंजन पक्षी । उ॰—आलिंगन दै अधर पान करि खंजन खंज लरे ।—सूर (शब्द॰) ।