खगना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]खगना क्रि॰ स॰ [हिं॰ खाँग = काँटा]
१. गड़ना । पैठना । चुभना । धँसना । उ॰—कह ठाकुर नेह के नेजन कौ उर में अनी आदि खगी सो खागी ।—ठाकुर (शब्द॰) ।
२. चित्त में बैठना । मन में धँसना । असर करना । उ॰—जाहीं सों लागत नैन ताही के खगत बैन नख शिख लौं सब गात ग्रसति ।—सूर (शब्द॰) ।
३. लग जाना । लिप्त होना । अनुरक्त होना । उ॰—प्रफुलित बदन सरोज सुँदरी अतिरस नैन रँगे । पुहुकर पुंडरीक पूरन मनो खंजन केलि खगे ।—सूर (शब्द॰) ।
४. चिह्नित हो जाना । छप जाना । उपट आना । उभर आना । उ॰—यह सुनि धावत धरनि चर की प्रतिमा खगी पंथ में पाई ।—सूर (शब्द॰) ।
५. अटक रहना । अचल होकर रह जाना । अड़जाना । उ॰—करि कै महा घमसान । खागि रहे खेत पठान ।—सूदन (शब्द॰) ।