खटका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खटका संज्ञा पुं॰ [हिं॰ खटकना]

१. 'खट खट' शब्द । जैसे, जरा सा खटका होते ही पक्षी उड़ गए

२. डर । भय । आशंका । उ॰—अब कोई खटका नहीं है; बासमती कुछ कर नहीं सकती ।—अयोध्या (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—लगना ।—मिरना ।—होना ।—पड़ना ।—होना ।

३. चिंता । फिक्र । जैसे,—तुम्हारे न आने के कारण रात भर सबको खटका लगा रहा । क्रि॰ प्र॰—लगना ।—मिटना ।—होना ।—पड़ना ।

४. किसी प्रकार का पेंच, कील या कमानी, जिसको सहायता किसी प्रकार का आवरण खुलता या बंद होता हो अथवा इसी प्रकार का और कोई कार्य होता हो । जैसे,—(क) खटका दबाते ही दरवाजा खुल गया । (ख) खटका दबाते ही सारे कमरे में बिजली का प्रकाश हो गया । क्रि॰ प्र॰—दबाना । मुहा॰—खटके पर होना = खटके के सहारे रहना । जैसे— 'कमर' के बीच खटके पर एक चौकोर पत्थर था, जो ऊपर से दबाते ही नीचे की ओर झुलने लगा ।'

५. किवाड़े की सिटकिनी । बिल्ली । क्रि॰ प्र॰—गिराना ।—लगाना ।

६. बाँस का वह टुकड़ा जो फलदार वृक्षो में पक्षियों को डराकर उड़ाने के लिये बाँधा जाता है । इसके नीचे जमीन त क लटकती हुई एक लंबी रस्सी बंधी रहती है, जिसे हिलाने या झटका देने से वह टुकड़ा किसी डाल या तने से टकराकर 'खट' 'खट' शब्द करता है । खटखटा । खड़खड़ा । क्रि॰ प्र॰—लगाना । बाँधना ।