खड़िया
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]खड़िया ^१ † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ खरिया] रुपया पैसा रखने की थैली । उ॰—ता पाछे जब वैषेणवन जाइबे की कहे तब कृष्ण भट रात्रि कों उनकी गाँठ खड़िया खौलि खरची बाँधि देतै ।—दो सौ॰ बावन॰, भा॰ १, पृ॰ २७ ।
खड़िया ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ खटिका, खड़िका] एक प्रकार की सफेद मिट्टी या पत्थर की जाति का एक बहुत मुलायम सफेद पदार्थ । विशेष—यह जमीन के अंदर शंख, घोंघे आदि जानवरों की हडिडयों के चूने से आप ही आप जमकर बनता है । खड़िया इंगलैड में लंडन के आसपास और फ्रांस के उत्तरी भाग में बहुत होती है । इससे दीवारों पर चूने की भाँति सफेदी की जाती है और अनेक प्रकार की धातुएँ साफ की जाती हैं । प्राय: काले तख्तों पर इससे लिखा बी जाता है । यह कई प्रकार की होती है ।
२. एक प्रकार की खड़िया जो बहुत कडी़ होती है । खरिया । खड़ी । छुही । उ॰—मोरियों पर ढकने के लिये सक्खर का सफेद खड़िया पत्थर काम में आता था ।—हिंदु॰ सभ्यता, पृ॰ १९ । विशेष—यह इमारतों में पत्थर के स्थान पर काम आती है । एक और प्रकार की खड़िया काली होती है जो स्लेट के अंतर्गत है । मुहा॰—खड़िया में कोयला = बेमेल बात । अच्छे के साथ बुरे का संयोग ।
खड़िया ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ काण्ड या हिं॰ खडा़] अरहर का वह पेड़ या बडा़ डंठल जिसमें पत्तियाँ या फलियाँ बिलकुल न हों । खाडी़ । रहठा ।