खडा़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]खडा़ वि॰ [सं॰ खडक = खम्भा, थूनी ] [वि॰ स्त्री॰ खडी़]
१. धरा— तल से समकोण पर स्थिति । सीधा ऊपर को गया हुआ । ऊपर को उठआ हुआ । जैसे, — खडी़ लकीर, खडा़ बाँस, झंडा खडा़ करना । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रखना ।—रहना ।—होना ।
२. जो (प्राणी) पृथ्वी पर पैर रखकर टाँगों को सीधा करके अपने शरीर को ऊँचा किए हो । दडायमान जैसे, — इतना सुनते ही वह खडा़ हो गया और चलने लगा । क्रि॰ प्र॰ —करना ।—रहना ।—होना । मुह॰ —खडा़ जवाब = तुरंत अस्वीकार । वह इनकार जो चटपट किया जाय । खडा़ दाँव = जूए का वह दाँव जो जुआरी उठते उठाते समय लगाते हैं । खडा़ होना = (१) सहायता देना ।
खडा़ पठान संज्ञा पुं॰ [देश॰] जहाज के पिछले भाग का मस्तूल ।— (लश॰) ।