खपना

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खपना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ क्षपण] [संज्ञा खपत]

१. किसी प्रकार व्यय होना । काम में आना । लगना । कटना जैसे—बाजार में माल खपना । ब्याह में रुपया खपना । पूरी में घी खपना ।

२. चल जाना । गुजारा होना । समाई होना । निभना । जैसे—बहुत से इच्छे रुपयों में दी चार बुरे रुपए भी खप जाते है ।

३. तंग होना । दिक होना ।

४. क्षय होना । समाप्त होना । नष्ट होना । उ॰— जो खेप भरे तू जाता है, वह खेप मियाँ मत जान अपनी । अब कोई घड़ी पल साइत में यह खेप बदन की है खपनी ।— नजीर (शब्द॰) ।

५. करना । मृत्यु प्राप्त करना । जैसे—उस युद्ध में कई हजार आदमी खप गए । संयो॰ क्रि॰— जाना ।