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खरज

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खरज संज्ञा पुं॰ [सं॰ षड़ज] दे॰ 'षड़ज' उ॰— खरज साधे गाऊँ मैं श्रवणन सुनहऊँ सुनाऊँ ।—अकबरी॰, पृ॰ १०५ ।