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खिंचना

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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खिंचना क्रि॰ अ॰ [सं॰ कर्षण]

१. किसी वस्तु का इस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना कि वह गति के समय अपने आधार से लगी रहै । घसिटना । जैसे,—यह लकड़ी कुछ उधर खिंच गई है ।

२. किसी कोश, थैले आदि में से किसी वस्तु का बाहर निकलना । जैसे,—दोनों तरफ से तलवारें खिंच गई ।

३. किसी वस्तु के एक या दोनों छोरों का एक या दोनों ओर बढ़ना । तनना ।

४. किसी ओर बढ़ना या जाना । आकर्षित होना । प्रवृत्त होना । मुहा॰—चित्त खिंचना = मन मोहित होना ।

५. सोखा जाना । खपना । चुसना । जैसे,—सोखता रखते ही उसमें सारी स्याही खिंच आई ।

६. भमके आदि से अर्क या शराब आदि तैयार होना ।

७. किसी वस्तु के गुण या तत्व का निकल जाना । जैसे,—उसकी सारी शक्ति खिंच गई । मुहा॰—पोड़ा या दर्द खिंचना = (औषध आदि से) दर्द दूर होना । जैसे,—उस लेप के लगाते ही सारा दर्द खिंच गया ।

८. कलम आदि से बनकर तैयार होना । चित्रित होना । जैसे,— तसवीर खिंचना ।

९. रुक रहना । रुकना । मुहा॰—हाथ खिंचना = देना आदि बंद होना जैसे,—अगर उधर से हाथ खिंचे, तो तुम भी बंद कर देना ।

१०. माल की चलान होना । माल खपना । जैसे,—इस देश का सारा कच्चा माल विलायत को खिंचा जाता है ।

११. अनुराग कम होना । उदासीन होना ।

१२. भाव तेज होना । महँगा होना । जैसे,—वर्षा न होने के कारण दिन पर दिन भाव खिंचता जाता हैं । संयो॰ क्रि॰— चुकना ।—जाना ।—पड़ना ।

खिंचना क्रि॰ स॰ [सं॰ कर्षण प्रा॰ कड्ढ ण, देशी र्खचण, प्रे॰ खिंचवाना]

१. किसी वस्तु को इस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर करना कि वह गति के समय अपने आधार से लगी रहे । घसीटना । जैसे— (क) चारपाई इधर खींच लाओ ।(ख) घडे में हाथ डालकर उस चीज को खींच लो ।

२. किसी कोश, थैले आदि में से किसी वस्तु को बाहर निकालना । जैसे, — म्यान से तलवार खींचना ।

३. किसी ऐसी वस्तु को छोर या बीच से पकडकर अपनी ओर बढाना जिसका दूसरा छोर दूसरी ओर अथवा नीचे या ऊपर हो । ऐंचना । जैसे, पंखे या खिड़की की डोरी खींचना । कुएँ से पानी खींचना । जैसे—रस्सी को बहुत मत खींचो, टूट जायगी ।

४. आकर्षित करना । बलपूर्वक किसी और और ले जाना । किसी ओर बढाना । किसी ओर प्रवृत्त करना । मुहा॰—चित्त खींचना = मन को मोहित करना ।

५. सोखना । चूसना । जैसे — (क) मैदा बहुत घी खींचता है । (ख) अभी सोखता रख दो सब स्याही खींच ले ।

५. भभके से अकँ, शराब आदि टपकाना । अर्क चुआना ।

७. किसी वस्तु के गुण या तत्व को निकाल लेना । जैसे — इस कपडे ने फूल की सारी सुगंध खींच ली । मुहा॰—पीडा या दर्द खींचना = औषध आदि का दर्द दूर करना । जैसे— यह लेप सब दर्द खींच लेंगा ।

८. कलम फेरकर लकीर आदि डालना लिखना । चित्रित करना । जैसे— तसबिर खिंचना । यौ॰—खींच खाँचकर = झटपट टेढा सीधा लिखकर । जैसे — एक चिट्टी में घंटा भर लगा दिया खींच खाचकर किनारे करो ।

९. रोंक रखना । जैसे— जितना वाजबी देना है, उसमें से भी वह कुछ खींच रखना चाहता है । मुहा॰ —हाथ खिंचना = देना या और कोई काम बंद करना । जैसे—(क) उसने एकदम अपना हाथ खींच लिया है; एक पैसा भी नहीं देता । (ख) हम अपना हाथ खींच लेते हैं, तुम अकेले सब काम करो ।

१०. माल की चलान लेना । व्यापार का माल मँगाना । जेसे— आजकल कलकत्ता बहुत अनाज खींच रहा है । संयो॰ क्रि॰ — डालना ।— *रखना ।— लेना ।