खिलना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खिलना क्रि॰ वि॰ [सं॰ स्खल ]

१. कली के दल अलग अलग होना । कली से फूल होना । विकसित होना ।

२. प्रसन्न होना । प्रमुदित होना ।

४. शोभित होना । उपयुक्त होना । ठीक या उचित जँचना । जैसे — यह गमला यहाँ पर खूब खिलता है ।

४. बीच से फट जाना । जैसे, — दिवार का खिल जाना ।

५. अलग अलग हो जाना । जैसे, — चावल खिलना । संयो॰ क्रि॰ —उठना ।— जाना ।उ॰— हुस्नआरा खिली जाती थीं । —फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २८३ । — पडना ।