खिसकना क्रि॰ अ॰ [हिं॰ या अनु॰] दे॰ 'खसकना' । उ॰— *भूलति नाहि, भुलाए भटू सुधि सों सुधि जात सबै खिसकी सी ।—रघुनाथ (शब्द॰) ।