खुर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खुर संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सींगवाले चोपायों के पैर की कड़ी टाप जो बीच से फटी होती है । गाय, भैल आदि सींगवाले चौपायों के पैर का निचला छोर, जो खड़े होने पर पृथ्वी पर पड़ता है । सुम । टाप । यौ॰—खुरणस = चिपटी टेढ़ी नाकवाला । खुरन्यास=(१) खुर का रखना । (२) खुर रखने से बना निशान । खुरत्राण = नाल । खुरपदवी = घोड़े के पैर का निशान । खुरप्र = क्षुरप्र वाण । खुरबंदी = घोड़े बैल आदि के खुरों में नाल जड़ना ।

२. चारपाई या चौको के पाए का निचला छोर जो पृथ्वी से लगा रहता है ।

३. नख नामक गंध द्रव्य ।

४. छुरा । उस्तरा । (को॰) ।