खेलना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]खेलना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰] [प्रे॰ रुप खेलना]
१. केवल चित्त की उमंग से अथवा मन बहलाने या व्यायाम के लिये इधर उधर उछलना, कुदना, दौ़ड़ना आदि । जैसे,—लड़के बाहर खेल रहे हैं । मुहा॰—खेलना खाना = आनंद से दिन बिताना । निश्चित होकर चैन से दिन काटना । जैसे,—अभी तुम्हारे खेलने खाने के दिन है; सोच करने के नहीं । उ॰—(क) खेलत खात रहे ब्रज भीतर । नान्हीं जाति तनिक धन ईतर ।—सुर (शब्द॰) । (ख) खेलत खात लरिकपन गो जोबन जुबतिन लियो जीति ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. कामक्रीड़ा करना । बिहार करना । मुहा॰—खेली खाई = पुरुष समागत से जानकारी (स्त्री) । खुल खेलना = खुल्लमखुल्ला कोई ऐसा काम करना जिसके करने में लोगों को लज्जा आती हो । सबकी जान में कोई बुरी काम करना ।
३. भुत प्रेत के प्रभाव से सिर और हाथ पैर आदि हिलाना । अभुआना ।
४. दुर हो जाना । चले जाना ।
५. विचरना । चलना । बढ़ना । उ॰—भयो रजायसु आगे खेलहि । गढ़ तर छाँड़ि अंत होइ मेलहि ।—जायसी (शब्द॰) ।
खेलना ^२ क्रि॰ स॰
१. ऐसी क्रिया करना जो केवल मनबहलाव या व्य़ायाम आदि के लिये की जाती है और जिसमें कभी कभी हार जीत का भी विचार किया जाता है जैसे,—गेंद खलना; जुआ खेलना, ताश खेलना इत्यादि । मुहा॰—जान या जी पर खेलना = अपने जीने की बाजी लगाना । अपने प्राण भय में डालना । ऐसा काम करना जिसमें मृत्यु का भय हो । (जान या जी के समान सिर, धन, इज्जत आदि कुछ और शब्दों के साथ भी यह मुहाविरा प्रायःबोला जाता है ।)
२. किसी वस्तु को लेकर अपना जी बहलाना । किसी वस्तु को मनोरंजन के लिये हिलाना डुलाना आदि । जैसे,—खिलौना खेलना । जैसे—कागज यहाँ न छोड़ा, नहीं तो लड़के खेल डालेंगे ।
३. नाटक या स्वाँग रचना । अभिनय करना । जैसे,—यह नाटक कल खेला जायगा ।