खेवा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खेवा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ खेना]

१. वह धन जो केवट को नाव द्वारा पार उतारने के बदले में दिया जाय । नाव खेने का किराया ।

२. नाव द्वारा नदी पार करने का काम । जैसे,—अभी यह पहला खेवा है ।

३. बार । दफा । अवसर । जैसे, (क) पिछले खेवे उन्होंन कई भूलें की थीं । (ख) इस खेवे सब झगड़ा निपट जायगा । विशेष—इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग केवल कार्य आदि करने के संबंध में होता है ।

४. बोझ से लदी हुई नाव । उ॰—राजा का भा अगमन खेवा । खेवक आगे सुवा परेवा ।—जायसी(शब्द॰) ।