खोपड़ी
सिर। सिर का अस्थियों वाला हिस्सा जो मस्तिष्क को चारों तरफ से घेरे रहता है।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
खोपड़ी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ खोपड़ा]
१. सिर की हड्डी । कपाल ।
२. सिर । मुहा॰-अंधी खोपड़ी का, औंधी खोपड़ी का = नासमझ । मूर्ख । खोपड़ी खा जाना = बहुत बात करके दिक करना । खोपड़ी खुजलाना = (१) कोई ऐसी बात या शरारत करना जिससे मार खाने की नौबत आवे । मार खाने को जी चाहना । जैसे,—तुम न मानोगे, तुम्हारी खोपड़ी खुजला रही है । (२) सिर पर जूता मारना । खोपड़ी गंजी होना = मार खाते खाते सिर के बाल झड़ जाना । सीर पर खूब जूते पड़ना । खोपड़ी गंजी करना = मारते मारते सिर के बाल न रहने देना । सिर पर खूब जूते लगाना । खोपड़ी चटकना = अधिक धूप, प्यास या पीड़ा के कारण सिर में गर्मी और चक्कर मालूम होना । सिर टनकना । खोपड़ी चाट जाना = बकवाद करके तंग करना ।
खोपड़ी का सार भाग ।— उ॰—सोनित सो सानि गूदा खात सतुआ से एक एक प्रेत पियत बहोरि घोरि घोरि कै ।— तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—मारते मारते गूदा निकालना = गहरी मार मारना ।
३. किसी चीज के भीतर का सार भाग । मींगी । गिरी ।
४. किसी वस्तु का सार भाग । मुहा॰—बातों का गूदा निकालना = बाला की खाल निकालना । बहुत खोद विनोद करना ।